Journey As Social worker
As a teacher, Udita was approached by many students, people from many regions, and as a conscious teacher, Udita's work was far beyond merely teaching the students. Seeing many of the evils of society, Udita's sensitive mind was very sad, in fact, she felt miserable. She was troubled and kept thinking about the changes that need to made.
Being a chemistry teacher, Udita was aware of the changes caused by chemicals and their impact on adolescent minds. Udita's mind was agitated to innovate. She felt like contributing something that would inspire children to do things beyond traditional education. Her restlessness grew and so did her desire to do something for the society.
Udita felt disheartened when she saw how social pressures and lack of opportunities do not allow children to pursue their educational and professional dreams. Udita wished children would study as per their choice and follow their dreams, and with these thoughts, Udita took the ownership of doing something unique for children. Ans that’s how her journey as a social worker began.
Established in the year 2007 by Udita, the key objective of CSDisha was to empower the youth. CS Disha was a medium to take the youth to their desired destination. Its purpose was to make youth aware of their life purpose was and what they wanted from lives.
Udita felt that the youth are not happy with their profession and salary because of the half-baked education and that the same practice goes on from generation to generation. In order to help youth become aware of their passion and direction in life, Udita started the 'Be What You Want' program under CSDisha. This project helped children realize what they want from their lives, the discipline they want to study, what profession they want to choose, and what they feel their destination is! This project made children realize their desires and goals.
But Udita wanted to take her aim to the apogee. And she believes that if we want to do something for the society, we have to lead by example. With this thought in mind, she participated in the beauty contest. Though it was not easy for her as a married woman, she won several titles in Mrs. India 2011 and conveyed a message that dreams should be achieved at all costs.
She came back to India and started working towards achieving her dreams. She wants to solve the problems of her country. Udita, who always worked hard to fulfill her dreams, did not set an easy goal. Through CSDisha, Udita motivated youth to aim for self-empowerment if they wanted to bring about a transformation in their lives as well as society as a whole. Udita presented this forum as a platform where leaders from all spheres of live, including industrialists, academicians, civil and government representatives could speak their minds and share thoughts. The key objective here was youth empowerment.
Based on her experience and learnings from the beauty contest and extensive domestic and international travel, Udita did a lot of experiments on the ground level. The key objective of these researches was to learn about the disparities among different sections of the society. A number of programs have been initiated based on these researches and learnings. All of these programs were warmly welcomed all over the country and helped enhanced Udita’s identity.
In 2011, Dr. Udita Tyagi was elected as the National President of My Clean India. The campaign was launched by Mr. Remco Van Santen. With a passion to transform the country, Udita took the campaign to 35 major cities on the strength of her hard work. Dedicated to cleanliness, Udita involved more than 10 lakh children to the project. Since 2011, Under Udita's skilled leadership, My Clean India has been working to keep India clean, with the same objective of bringing prosperity and beauty through the community. Through My Clean India, Udita is bringing not only the youth but also schools, institutions, business organizations, local and state governments together.
On the occasion of International Women's Day in 2014, BJP's Prime Ministerial candidate and current Prime Minister Narendra Modi invited Udita and came to know about the cleanliness drive being carried out by her. And this was the beginning of the government's sanitation campaign.
The most important and rewarding moment of the My Clean India campaign was to engrave the memories of the country's first freedom struggle on the walls. Udita, at Ghaziabad railway station, in beautiful colors, etched the first battle of freedom in such a way that people passing through it have a sense of pride in their eyes. They get goosebumps.
Udita is not one of the quiet sitters. She has plans, she has a vision and that is why today she has a wealth of achievements as a social worker. Her achievements include incorporating career counselling in CBSE curriculum, starting private schools in 124 villages and launching project ‘Kaliyaan’ to encourage girls' education.
Udita has pioneered all sorts of cleanliness through My Clean India and her journey as a social worker continues through a number of projects.
एक शिक्षिका के रूप में उदिता का संपर्क कई विद्यार्थियों से हुआ,कई क्षेत्रों के लोगों से हुआ, तथा एक सजग शिक्षिका होने के नाते उदिता का कार्य महज विद्यार्थियों को शिक्षा देने तक ही सीमित न होकर उससे कहीं आगे था। समाज की कई कुरीतियों को देखकर उदिता का संवेदनशील मन बहुत ही दुखी होता था, दुखी से अधिक उनके मन में उद्विग्नता थी। उनके मन में बदलाव को लेकर बेचैनी थी। रसायन शास्त्र की शिक्षिका तथा उसी में शोध के कारण उदिता को रसायनों के कारण होने वाले बदलावों व उसके बाल व किशोर मन पर प्रभाव के बारे में पता था। उदिता का मन कुछ नया करने के लिए ललचा उठा। उदिता को लगा कि कुछ तो ऐसा किया जाए जो इन बच्चों को औपचारिक शिक्षा से कुछ अलग करने के लिए प्रेरित कर सके। इसी तरह बेचैनी बढ़ती गई और समाज के लिए कुछ न कुछ करने की ललक भी।
इसके साथ ही उदिता जब देखती थीं कि कैसे बच्चे पढ़ना कुछ और चाहते हैं और दबावों के कारण कुछ और पढ़ते हैं, बनना कुछ और चाहते हैं मगर समाज के दबाव व उस क्षेत्र में अवसरों की कमी के कारण बन कुछ और जाते हैं, तो वह इस शिक्षा से और भी निराश होती थीं। उदिता की चाह थी कि बच्चा जो चाहता है वह पढ़े, वह बने उदिता ने उन बच्चों के लिए कुछ नया करने का बीड़ा उठाया। और इस प्रकार उदिता का एक समाजसेवी का सफर शुरू हुआ।
उदिता ने वर्ष 2007 में सीएसदिशा की स्थापना की। जिसका मुख्य उद्देश्य था युवाओं को सशक्त करना। सीएस दिशा युवाओं को उनकी मंजिल तक ले जाने की एक दिशा थी। युवाओं को यह महसूस कराने का तरीका था कि आखिर उनकी मंजिल क्या है और उन्हें अपने जीवन से क्या चाहिए। उदिता ने यह महसूस किया था कि अधकचरी शिक्षा के चलते यहां के युवा अपने काम व सैलेरी से खुश नहीं रह पाते हैं और यह सिलसिला पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है। इसके लिए उन्होनें “बी व्हाट यू वांट” कार्यक्रम सीएसदिशा के बैनर तले शुरू किया। इस प्रोजेक्ट में बच्चों को यह अहसास करने में मदद की जाती थी कि आखिर वह अपनी जिंदगी से क्या चाहते हैं, वह किस क्षेत्र में पढ़ाई करना चाहते हैं, वह किस क्षेत्र में जाना चाहते हैं, और उनकी मंजिल क्या है! इस प्रोजेक्ट में वह जो करना चाहते थे उन्हें वह महसूस कराया गया।
मगर उदिता अपने इस उद्देश्य को और भी शिखर तक ले जाना चाहती थीं। और उन्हें पता था कि यदि आप समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको सबसे पहले खुद एक उदाहरण प्रस्तुत करना होगा। इसलिए उन्होनें सौंदर्य प्रतियोगिता में भाग लिया। हालांकि एक शादीशुदा महिला होने के नाते उनके लिए यह बिलकुल भी आसान नहीं था पर फिर भी मिसेज इंडिया 2011में उन्होंनें कई खिताब अपने नाम किए व एक संदेश दिया कि अपने सपनों को हर कीमत पर हासिल किया जाए।
भारत वापस आकर एक बार फिर से वह अपने सपनों को पूरा करने में जुट गईं। वह अपने देश की समस्याओं को हल करना चाहती हैं,पर खुद कुछ काम करके अपने सपने पूरा करने वाली उदिता ने आराम को लक्ष्य नही बनाया। उन्होनें सीएसदिशा के माध्यम से युवाओं को प्रेरित किया कि सशक्त होकर वह न केवल अपनी जिंदगी में बदलाव ला सकते हैं बल्कि वह पूरे समाज में भी बदलाव ला सकते हैं। उदिता ने इस मंच को देश में संवाद का एक मंच बनाया जिस पर उद्योग जगत से लेकर, शिक्षाविद, नागरिक समाज तथा सरकार के प्रतिनिधि अपनी बात रख सकते थे। और इसका मुख्य उद्देश्य रखा युवाओं का सशक्तिकरण।
उदिता ने अपने अनुभव, सौंदर्य प्रतियोगिता के दौरान प्राप्त अनुभव तथा इस दौरान भारत व विदेशों में अपनी यात्रा के अनुभव के साथ ही कई प्रकार के जमीनी स्तर के शोध भी किए गए। इन शोधों का मुख्य उद्देश्य उदिता के अनुसार उन अंतरों का पता लगाना था जो समाज के विभिन्न वर्गों के बीच हैं। इन शोधों के आधार पर ही कई प्रकार के कई कार्यक्रमों का आरंभ किया गया। यही कारण था कि पूरे देश भर में इन कार्यक्रमों का जी खोल कर स्वागत हुआ तथा उदिता की पहचान में और इजाफा हुआ।
वर्ष 2011 में डा0उदिता त्यागी को माई क्लीन इंडिया का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। यह अभियान श्री रेमेको वैन सेटन ने आरंभ किया था। देश को बदलने का जुनून लिए उदिता ने अपनी कड़ी मेहनत के बल पर 35 मुख्य शहरो में इस अभियान को पहुंचाया। सफाई को समर्पित उदिता ने अपने साथ इस प्रोजेक्ट में 10 लाख से ज्यादा बच्चों को जोड़ा। 2011 से ही उदिता के कुशल नेतृत्व में माई क्लीन इंडिया में भारत को स्वच्छ रखने जैसा काम किया जा रहा है, जिसका एक ही उद्देश्य है समुदाय के माध्यम से सम्पन्नता व सुंदरता लाना। माई क्लीन इंडिया के माध्यम से उदिता न केवल युवाओं को बल्कि स्कूल, संस्थानों, व्यापारिक संगठनों, स्थानीय व राज्य सरकारों को साथ ला रही हैं।
वर्ष 2014 में अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार तथा वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उदिता को आमंत्रित किया तथा उन्हें उदिता के द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान की जानकारी मिली। और यही क्षण आने वाली सरकार के स्वच्छता अभियान की शुरूआत थी।
माई क्लीन इंडिया अभियान का सबसे महत्वपूर्ण व आनंददायक क्षण था देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की स्मृतियों को दीवारों पर उकेरना। आजादी की सबसे पहली जंग को खूबसूरत रंगों में गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर उदिता ने इस तरह उकेरा कि वहां से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति की आंखों में गर्व की भावना पैदा हो जाती है। उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
उदिता शांत बैठने वालों में से नहीं हैं। उनके पास योजनाएं हैं, उनके पास एक विजन है और यही कारण है कि आज उदिता के पास एक समाजसेवी के रूप में उपलब्धियों का खजाना है जैसे सीबीएसई के पाठ्यक्रम में कैरियर काउंसलिंग को सम्मिलित करना 124 गांवों में निजी स्कूलों को शुरू करना व लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोजेक्ट कलियां।
उदिता ने माई क्लीन इंडिया के माध्यम से हर तरह की सफाई की बीड़ा उठाया है व समाजसेवी के रूप में उनका सफर आज कई परियोजनाओं के माध्यम से जारी है।